लेखनी कहानी -17-Oct-2022... रविवार का त्यौहार
आरती उठ जल्दी कर.... चलना नहीं हैं क्या... अरे आज रविवार हैं... उठ ना...।
आरती रविवार सुनते ही झट से उठ गई.... । अरे हां मैं तो भूल ही गई थी....। तु चल मैं बस दातुन करके आती हूँ...।
हाँ ठीक है पर जल्दी आना..। मैं रमेश के साथ जा रहीं हूँ...।
सपना, रमेश, सुरेखा, जीतू.... सभी बच्चे गली में रहने वाले ठाकुर भैरव सिंह के घर पहुंचे...।
भैरव सिंह.... :-अरे आ गए तुम सब.... आओ अंदर आओ...।
भैरव सिंह ने अपनी पत्नी से कहकर जमीन पर दरी बिछवाई और सभी बच्चों को उस पर बैठने को कहा...।
पांच मिनट बाद ही कुछ छह सात बच्चे ओर आरती के साथ वहाँ आए ओर वो सभी भी अपनी अपनी जगह पकड़ कर बैठ गए..।
सब आ गए या कोई बाकी हैं अभी...।
सब आ गए अंकल आप चालु किजिए ना जल्दी...।
रविवार का दिन...
सवेरे के सात बज रहें हैं...
सभी बच्चे भैरव सिंह के घर में शटर वाली ब्लैक एंड व्हाइट टेलीविजन पर नजरें गाड़ कर बैठे हैं...की कब टेलीविजन का शटर खुले ओर कब उन्हें गानों का कार्यक्रम सुनने और देखने को मिले..।
भैरव सिंह के घर आज कोई त्यौहार नहीं था... बल्कि हर रविवार उनके लिए त्यौहार जैसा ही होता था..।
उस मोहल्ले में सिर्फ भैरव सिंह के घर पर ही टेलीविजन था..। वो भी शटर वाला बड़ा सा weston कंपनी का...। हर रविवार मोहल्ले के सभी बच्चे उनके घर सवेरे सात बजे पहुंच जाते थे..। भैरव सिंह को खुद की कोई औलाद नहीं थीं..। इसलिए वो मोहल्ले के सभी बच्चों को बहुत प्यार करते थे..। रविवार की हर सुबह बच्चों के शोर से शुरू होती थीं..।
अंकल जल्दी खोलों ना टेलीविजन का शटर..।
बच्चों में बैठे रमेश से ओर इंतजार नहीं हो रहा था..। भैरव ने टेलीविजन की वायर लगाई ओर शटर खोलकर आगे से बटन दबाया...। लेकिन ये क्या टेलीविजन पर कोई चित्र आने की बजाय मच्छर जैसे छोटे छोटे दाने यहाँ वहाँ नाच रहे थे..।
अरे अंकल ये क्या आ रहा हैं..।
दो मिनट बेटा आ जाएगा...।
टेलीविजन में मौजूद बटनों को और चैनल बदलने के लिए लगे गोलाकार बटन को इधर उधर करने पर भी जब कुछ नहीं आया तो एक बच्चा खड़ा हुआ ओर बोला :- अंकल मैं एंटीना हिलाकर देखुँ क्या..!
बिना भैरव का जवाब सुने वो बच्चा बुलेट ट्रेन की रफ़्तार से भैरव की छत पर पहुंचा ओर वहाँ लगे बड़े से एंटीना को यहाँ वहाँ हिला हिलाकर बार बार चिल्ला रहा था :- आया.... अब...अभी आया.. आया...।
हर बार एंटीना के साथ उसकी आवाज भी गुंज रहीं थीं...। लेकिन आज टेलीविजन भी जिद्द पर अड़ा था...। हर तरह की जद्दोजहद के बाद भी टेलीविजन की स्क्रीन पर सिर्फ मच्छर ही नाच रहे थे...। तभी एक छोटा बच्चा बोला :- लगता हैं आज इसके अंदर बैठे सब लोग बिमार हो गए हैं...।
कुछ बच्चे चुपचाप सुनकर बैठे रहें तो कुछ उसका मजाक बना कर बोले :- इतनी सी टीवी में इतने सारे लोग कैसे जाएंगे पागल..।
अरे जाते हैं... इसके अंदर छोटे छोटे लोग रहते हैं.. वो ही गाना गाते हैं ओर नाचते हैं...और कार्टून भी बनकर आते हैं...।
सभी बच्चे अब इस बहस में धीरे धीरे शामिल हो गया ए...। हर कोई अपना अलग मत दे रहा था...।
वही भैरव और कुछ बड़े बच्चे अभी भी टीवी की बिमारी को ढुंढने में लगे थे...।
तकरीबन बीस मिनट तक ऐसे ही सब चलता रहा....।बच्चों का उत्साह अब ठंडा होता जा रहा था....। तभी एकाएक टेलीविजन पर गाना बजने लगा :- मेरा जूता हैं जापानी.... ये पतलून इंग्लिशतानी......
सभी बच्चों की बहस एकाएक गाना सुनकर वही थम गई....। लेकिन ये क्या चित्र अभी भी साफ़ नहीं आ रहें थे...।
कोई कुछ बोलता इससे पहले वही बच्चा जो पहले एंटीना हिलाने गया था बोला :- अंकल मैं एंटीना हिलाकर आऊं...। इस बार भी बिना जवाब सुने वो सरपट छत पर गया और इस बार एंटीना को एक बार घुमाते ही चित्र साफ हो गए....। सभी बच्चे एक आवाज में चिल्लाए :- आ गया.... मोंटू....।
वो बच्चा दौड़ता हुआ नीचे आया और सभी के साथ टेलीविजन पर आ रहें गाने का लुत्फ़ उठाने लगा...। भैरव सिंह ने भी राहत की सांस ली ओर पास में रखी कुर्सी पर बैठकर पसीना पोछते हुए टेलीविजन पर चल रहें कार्यक्रम देखने लगा...।
बच्चों को गाने के कार्यक्रम के बाद आने वाले कार्टून के कार्यक्रम का बेसब्री से इंतजार था...।
टेलीविजन की खराबी होने पर ना जाने उसके ठीक होने तक सभी ने भगवान से कितनी अरदासे और लालच दे दिया होगा..।
टेलीविजन का समय पर ठीक हो जाना किसी त्यौहार से कम नहीं था.......।
Palak chopra
03-Nov-2022 03:15 PM
Shandar 🌸
Reply
Haaya meer
02-Nov-2022 05:15 PM
Amazing
Reply
Raziya bano
01-Nov-2022 07:00 PM
Nice
Reply